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हिन्दी दिवस प्रतियोगिता भाग 4( मंजिल ) लेखनी कहानी -01-Sep-2022


       शीर्षक:- मंजिल
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हे  मुसाफिर मंजिल तक पहुँचने के लिए हौसला चाहिए।
पथरीली कठिन राहौ से गुजरने के लिए  हौसला चाहिए।।
रे मुसाफिर तू थक कर मत  बैठजाना निरंतर चलते रहना।
पथ मे आयें कितने  कांटे उन पर तू निरंतर चलते रहना।।
कांटौ से छलनी हुए पैरौ के घावौ का तू ध्यान मत करना।
मंजिल तक पहुँचने के लिए तू अनवरत कोशिश करना।।
मंजिल तुझे मिलेगी तू अपने हौसलौ को कम मत करना।
कितना  दर्द मिले इन राहौ मे चलते उसे तू सहन करना।।



 हिन्दी दिवस प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
04/09/2022






        









           

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8 Comments

राहों,,,, काँटों,,, पैरों,,, घावों,,, हौसलों,,, राहों आदि सही करें जी

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shweta soni

05-Sep-2022 04:20 PM

Nice 👍

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बेहतरीन

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